बनाने वाले ने क्या खूब एक इंसान बनाया क्या खूब दुनिया के तमाशे में उसको फसाया देकर के रिश्तों का नाम उसको कभी जीतेजी तो कभी मरने के बाद जलाया भीड़ में खड़े हुआ करते थे जो लोग कभी आज देखो वो तनहा हैं जिसका दर्द हुआ भारी उसपर आज दुनिया का कहर कुछ यूं बरसा है अपने अपने रिश्ते निभा लिए सबने और अपनों के ही दिल दुखा दिया सबने रिश्तों के उलझन में यूं उलझे से हैं रिश्ता क्या था किनसे सब यहां आज भूल भटके से हैं ।