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कभी कभी यूँ अनजाने में हम कितना कुछ कह देते है

कभी कभी यूँ अनजाने में हम 
कितना कुछ कह देते है 
 वो लफ्ज़ उसी क्षण से यारा 
  तीर सा दिल में चुभोते है 
 पर क्या फायदा आत्मग्लानि का
 जो ना करना था वो ही कर बैठे
 जाने कितनों को हैं जख्म दिये 
अपनी ही नजरों में गिर बैठे
ना ध्यान रहा कुछ मर्यादा का 
अपने मन की अभिलाषा का 
अंजान है वो नासमझ है वो 
जो  खुद की मस्ती में चूर हुये
अब  किस किस का मैं नाम लिखूँ 
 जो मुझसे बस अब दूर हुये
#feeling_hurting

©ANOOP PANDEY
  #आत्मग्लानि 
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