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कहते हैं जिस जगह खड़ी आज नई बस्ती है ज़मीदोज़ वहीं पे

कहते हैं जिस जगह खड़ी आज नई बस्ती है
ज़मीदोज़ वहीं पे कुछ जली हसरतों की राख है

जहां कभी धड़कता था एक खिलखिलाता दिल 
मकान में अब उस जगह दिखता सिर्फ़ एक सुराख़ है 20/2/20
कहते हैं जिस जगह खड़ी आज नई बस्ती है
ज़मीदोज़ वहीं पे कुछ जली हसरतों की राख है

जहां कभी धड़कता था एक खिलखिलाता दिल 
मकान में अब उस जगह दिखता सिर्फ़ एक सुराख़ है 20/2/20