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तेरे गम इतने गाढ़े हैं के इनको सह नहीं सकता, कि मदि

तेरे गम इतने गाढ़े हैं के इनको सह नहीं सकता,
कि मदिरापान करके भी मैं इनको कह नहीं सकता। 
तेरी रुसवाईयां मुझसे यह कहती हैं बुलाती हैं,
 ये आंसू नीर हैं लेकिन मैं इनमें बह नहीं सकता।।

-- दुर्गेश बहादुर प्रजापति तेरे गम इतने गाढ़े हैं के....
तेरे गम इतने गाढ़े हैं के इनको सह नहीं सकता,
कि मदिरापान करके भी मैं इनको कह नहीं सकता। 
तेरी रुसवाईयां मुझसे यह कहती हैं बुलाती हैं,
 ये आंसू नीर हैं लेकिन मैं इनमें बह नहीं सकता।।

-- दुर्गेश बहादुर प्रजापति तेरे गम इतने गाढ़े हैं के....

तेरे गम इतने गाढ़े हैं के....