आया मन भावन सावन विखरी घर आंगन में हरियाली पावन, मंदिर मंदिर गूंजे भोले का जयकारा, भाँग धतूरा है जिनको प्यारा, सजा कंठ में नाग की माला, जटा में समाए गंगा की निर्मल धारा, तन में राख, शीश चंद विराजे,हाथ त्रिशूल में डमडम डमरू बाजे। रिमझिम रिमझिम बरसा पानी,देखो प्रकृति की छटा निराली, चारों ओर कीचड़ पानी, धरा में छाई देखो कैसी हरियाली , दादुर का कंठ करता शोर, वन वन नाचे मस्त हो मोर, बिजली चमके,बदल गरजे, आसमान में छाई घटा घनघोर । अमराईयों में गूँजे कोयल की बोली,गोरी करे सहेलियों संग ठिठोली, तप्त धारा की तपन मिटा दी, विरह वेदना की ज्योति जला दी , जब सावन बरसे, पिया मिलन को विरह वियोगी गोरी मन तरसे, बरबस नयन पंथ निहारे,कब सजना मेरे सूने आगन पधारे । ©Dayal "दीप, Goswami.. #Sawankamahina RAVINANDAN Tiwari