आज नंगी राजनीति इतनी नपुंसक हो गई है, कि बेबस और लाचार जनता के दर पर बस ताली ही बजायेगी । और मुखबधिर जनता, जिसको बस ठुमके देखने की आदत सी पड़ गई है, हक़ीक़त जानकर भी हाथ बांधे बस हिजड़ों सी नाच ही देखेगी ।। हक़ीक़त