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तुम अपने अंदर बसा लो थोड़ा सा "अवध", मैं कुछ-कुछ "

तुम अपने अंदर बसा लो थोड़ा सा "अवध",
मैं कुछ-कुछ "काशी" की हो जाऊँ,
दो शहरों की इस मोहब्बत का ज़िक्र हो
ज़रा ज़ोरों-शोरों से,
तुम "गोमती" पर लिखो कोई बेहतरीन ग़ज़ल 
मै गंगा पर कविता लिखते-लिखते कहीं खो जाऊँ..।।

©RiChA SiNgH SoMvAnShI #काशी_और_अवध_की_मोहब्बत
#हिन्दी_प्रेम #हिंदी_शायरी #नोज़ोटोहिंदी 

#eveningtea
तुम अपने अंदर बसा लो थोड़ा सा "अवध",
मैं कुछ-कुछ "काशी" की हो जाऊँ,
दो शहरों की इस मोहब्बत का ज़िक्र हो
ज़रा ज़ोरों-शोरों से,
तुम "गोमती" पर लिखो कोई बेहतरीन ग़ज़ल 
मै गंगा पर कविता लिखते-लिखते कहीं खो जाऊँ..।।

©RiChA SiNgH SoMvAnShI #काशी_और_अवध_की_मोहब्बत
#हिन्दी_प्रेम #हिंदी_शायरी #नोज़ोटोहिंदी 

#eveningtea