*ग्रंथ/पुस्तकें/किताब* किताबें तो बहुत पढ़ीं सबने, सब पढ़े-लिखे हो गये... मगर सीखा क्या???? चालबाज़ी मक्कारी,बेईमानी, झूठ ,कपट , निंदा... आपसी प्रेम भाईचारा, सद्भाव,देश प्रेम, ईश भक्ति भी उसी किताब में थी , लेकिन पढ़ना ही भूल गए... नतीजा क्या हुआ.. अपने ही भाई बहनों से लड़ते हो , घर को महाभारत का मैदान बना देते हो , धर्म के नाम पर देश में खून खराबा करते हो .... क्या इसीलिए पढ़ाई की थी??....ऐसी पढ़ाई व्यर्थ है। इससे अच्छा तो अनपढ़ होते... लानत है भई ऐसे पढ़े-लिखों पर जो अफसर तो बन गये लेकिन जिम्मेदार नागरिक न बन सके , घर के होनहार सुपुत्र/सुपुत्री न बन सके ... पढ़ लिख कर बूढ़े मां-बाप को अकेला छोड़ अपनी दुनियाँ में रम गए ... अपने ही वतन में घोटाला करके विदेशों में बसे गये ,अँग्रेजी में गिटपिट क्या करने लगे सनातन संस्कृति ही भूल गए !! घोर आश्चर्य की बात है इतने अच्छे ग्रंथों के होते हुए भी मानवता,अमन, शांति, शिष्टाचार, नैतिकता, सद्भावना धार्मिकता नहीं सीख सके ... लेखिका/कवयित्री-प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश भारत ( 18 मई 2023 ) ©Pratibha Dwivedi urf muskan #kitaabein #किताबें #पुस्तक #ज्ञान #प्रतिभा #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #स्वरचित #नोजोटो