बचपन में सुनी परियों की कहानियाँ बड़े होते ही समझ आई ये पहेलियाँ ये सब थी बचपन की अटखेलियाँ गुड्डे और गुड़िया बचपन की सहेलियाँ भर देती थी मैं भी खुशियों से अपना घर आँगन जब लेती थीं किलकारियाँ कभी बेटी कभी बहन और कभी पत्नी न जाने कितने रूप में की साझेदारियाँ नींद खफ़ा हुई जब आखों से,,तब आती गई हमारी जिन्दगी में जिम्मेदारियाँ फिर भी बद-किस्मत दिल रहा जब कोई नहीं समझ पाया मैंने कितनी दी कुर्बानियाँ ।।। ©Sweta #writebyme❤❤❤ #Love #Pain #Dard #Family #Poet #shayri #gazal #squeen #BookLife