Nojoto: Largest Storytelling Platform

पालघर व्यथा : शर पर लगा था डंडा या कोई खपरैल लहू

पालघर व्यथा :

शर पर लगा था डंडा या कोई खपरैल 
लहू से लथपथ था शरीर , महीना था अप्रैल|              

  ** भीड़ **
न तो ये इंसान है, न ही कोई आदमी|
न तो इनका धर्म है, न ही कोई जाति भी ||

                                          
                                          झुण्ड में आकरके ये शेर खुद को बता रहे|

                                                 अरे ! गीदड़ो की भीड़ है , ये 
                                                       इंसानियत मिटा रहे ||

 हम खड़े है जिस धरा पर , है अदालत कानून भी|
पर जहां झुण्ड है भेड़ियों का , है वहां पर खून भी ||

                                      वाइरस ने तो बस जान ली, लोगो को चेताया है
                                    हुई धरा जब बेगानी, तो यही आलम आया है||

पर इन भेड़ियों के झुण्ड ने तो नोच खाया जान को|
हर दिलो में कर खौफ पैदा ,इंसानियत को मिटाया है||

                                                 न खौफ इनको है न किसी का ?
                                                    न ही डर कुछ का शता रहा ..
                       बस भेड़ जैसी चाल में ही पूरा है काफिला जा  रहा....

.न नियम कानून है. न ही कायदे कद्र है
इंसानियत के नाम पर ,
सब के अंदर सब्र है ||

                                  ऐसे तूफां से संभल कर हम हुए रूबरू कई बार| 
                                    हर दफा इंसानो से ही हुई इंसानियत तारतार||

          अब इंसाफ होगा या राजनीती ?
              जो समय था वो मिट गया
  इस धरा में भीड़ का एक नया कालम लिखा गया
Rashmi Dwivedi
😔#moblynching #crowdedpeople #justiceForHinduSadhu #wewantJustic #footsteps
पालघर व्यथा :

शर पर लगा था डंडा या कोई खपरैल 
लहू से लथपथ था शरीर , महीना था अप्रैल|              

  ** भीड़ **
न तो ये इंसान है, न ही कोई आदमी|
न तो इनका धर्म है, न ही कोई जाति भी ||

                                          
                                          झुण्ड में आकरके ये शेर खुद को बता रहे|

                                                 अरे ! गीदड़ो की भीड़ है , ये 
                                                       इंसानियत मिटा रहे ||

 हम खड़े है जिस धरा पर , है अदालत कानून भी|
पर जहां झुण्ड है भेड़ियों का , है वहां पर खून भी ||

                                      वाइरस ने तो बस जान ली, लोगो को चेताया है
                                    हुई धरा जब बेगानी, तो यही आलम आया है||

पर इन भेड़ियों के झुण्ड ने तो नोच खाया जान को|
हर दिलो में कर खौफ पैदा ,इंसानियत को मिटाया है||

                                                 न खौफ इनको है न किसी का ?
                                                    न ही डर कुछ का शता रहा ..
                       बस भेड़ जैसी चाल में ही पूरा है काफिला जा  रहा....

.न नियम कानून है. न ही कायदे कद्र है
इंसानियत के नाम पर ,
सब के अंदर सब्र है ||

                                  ऐसे तूफां से संभल कर हम हुए रूबरू कई बार| 
                                    हर दफा इंसानो से ही हुई इंसानियत तारतार||

          अब इंसाफ होगा या राजनीती ?
              जो समय था वो मिट गया
  इस धरा में भीड़ का एक नया कालम लिखा गया
Rashmi Dwivedi
😔#moblynching #crowdedpeople #justiceForHinduSadhu #wewantJustic #footsteps