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।भ्रष्ट पथ पथिक । भ्रष्ट पथ पर अग्रसर पथिक। भ्रष्

।भ्रष्ट पथ पथिक ।
भ्रष्ट पथ पर अग्रसर पथिक। 
भ्रष्टाचारी कहलाता है।
चलता है क्यों इस पथ पर?
सम्मान न जिसपर पाता है।।

भ्रष्ट आचरण अपनाकर। 
क्या सुख तुमने पाया है?
क्या आशीष मिला उन सबसे?
जिन जिन को कष्ट पहुँचाया है।।

अपने हक के पारिश्रमिक से।
क्या पेट न तेरा भरता है?
हे! भ्रष्ट पथ पथिक। 
क्यों इस पथ पर चलता है?

प्रत्येक आस को तोड़ दिया।
जिसका मरहम बन सकता था।
शक्ति निहित थी जो तुझमे।
तू परिवर्तन कर सकता था।।

भ्रष्ट पथ देता आमन्त्रण। 
कलुष कलि व्यथाओं को।
कर्मफल देता समय है।
भ्रष्ट आकांक्षाओं को।।

भ्रष्ट पथ को त्याग पथिक। 
कर्तव्य बोध की शक्ति से।
पूर्ण कर समाज की आशाओं को।
सच्चे यत्न प्रयत्नों से।
सच्चे यत्न प्रयत्नों से।।

नीरज एम

©Neeraj Misra 
  #नीरज एम/पथ भ्रष्ट पथिक।

#नीरज एम/पथ भ्रष्ट पथिक। #कविता

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