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आँख जिनसे हमारी लड़ी दोस्तों, दिल में रहती है वो हर

आँख जिनसे हमारी लड़ी दोस्तों,
दिल में रहती है वो हर घड़ी दोस्तों।

होंठ नाज़ुक गुलाबों सी है पंखुड़ी,
आँखें हिरनी के जैसी बड़ी दोस्तों।
    आँख जिनसे हमारी.......

कहना चाहूं मगर कह ना पाऊँ कभी,
कैसे सुलझे ये मुश्किल बड़ी दोस्तों।
             आँख जिनसे हमारी....

ख़्वाब हैं ये मेरे इश्क़ के आजकल,
हर जगह दिखती है वो खड़ी दोस्तों।
          आँख जिनसे हमारी....

नींद आँखों में ना चैन दिल को मिले,
यादें करती हैं यूँ गड़बड़ी दोस्तों।
              आँख जिनसे हमारी....

इश्क़ का जादूगर है 'गोपाला' बड़ा,
जान तोते में अब तो पड़ी दोस्तों।
             आँख जिनसे हमारी....

       कृष्ण गोपाल सोलंकी✍🏻 कुछ बदलाव के बाद फिर एक ग़ज़ल प्रेम की आपके समक्ष दोस्तो.....आपको समर्पित ।
आँख जिनसे हमारी लड़ी दोस्तों,
दिल में रहती है वो हर घड़ी दोस्तों।

होंठ नाज़ुक गुलाबों सी है पंखुड़ी,
आँखें हिरनी के जैसी बड़ी दोस्तों।
    आँख जिनसे हमारी.......

कहना चाहूं मगर कह ना पाऊँ कभी,
कैसे सुलझे ये मुश्किल बड़ी दोस्तों।
             आँख जिनसे हमारी....

ख़्वाब हैं ये मेरे इश्क़ के आजकल,
हर जगह दिखती है वो खड़ी दोस्तों।
          आँख जिनसे हमारी....

नींद आँखों में ना चैन दिल को मिले,
यादें करती हैं यूँ गड़बड़ी दोस्तों।
              आँख जिनसे हमारी....

इश्क़ का जादूगर है 'गोपाला' बड़ा,
जान तोते में अब तो पड़ी दोस्तों।
             आँख जिनसे हमारी....

       कृष्ण गोपाल सोलंकी✍🏻 कुछ बदलाव के बाद फिर एक ग़ज़ल प्रेम की आपके समक्ष दोस्तो.....आपको समर्पित ।