#रक्षाबन्धन कीशुभकाँमना" मेरे रिश्तो की दास्तान... मेरे रिश्तो की दास्तान सुनाता हूँ मैं... सभी माशुँकाए बनाते हैं, बहनें बनाता हूँ मैं | कहती वो इस सादगीं पर कौंन, न वारा जाए अनुपम... तो कहता मैं इसी खातिर तो, तुम पर जा लुटाता हूँ मैं | बड़ा प्यारा अनोखा रिश्ता, जहाँ मे भाई बहनो का... वही पावन सा रिश्ता, हर रोज निभाता हूँ मैं | कभी हठकेलियाँ करती हैं, किसी के साथ को लेकर... फिऱ उनके साथ को लेकर, उनको सताता हूँ मैं | कभी सुनता हूँ चार बाते, जमानें के चार लोगो की... बिना कुछ झूठ बोले अपनो को,, हर बात बताता हूँ मैं | जहाँ वालों गर कुछ सोचतें हों और, यें तेरी मुर्खता हैं यार... मेरे रिश्तें की डोर रेशम सी, हर रक्षा बन्धन बधाँता हुँ मैं।