White मुझे याद है आज भी वो बचपन का जमाना दोस्तों के संग खेल कर पूरा दिन बिताना गांव की कच्ची पगडंडियों पर दौड़ लगाना हाथ छोड़कर टूटी सड़कों पर साइकिल चलाना न कर पाती थी कैद हमें घर में वो लू बहना मचलते मन के वश में एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर चढ़ना मुझे याद है आज भी वो बचपन का जमाना वो दोस्तों के संग मिलकर दूसरे के बगिया से आम चुराना पकड़े जाने पर गिर पड़ा था बोलकर बहाने बनाना घरवालों से छुप-छुपाकर तालाब में नहाना नजर आने पर पापा से मार खाना मुझे याद है आज भी वो बचपन का जमाना वो बरसात के मौसम में कबड्डी के खेल का बीच में ही रुक जाना फिर कागज के पन्नों का वो नाव बनाना पकड़ कर चीटियों को उस नाव में सैर करना दिख जाए मेंढक तो उसे बेवजह सताना मुझे याद है आज भी वो बचपन का जमाना वो सर्दियों के दिनों में अलाव जलाना बैठकर दादा दादी को अपने किस्से सुनाना खिली हुई खेतों कि हरियालियों में दौड़ लगाना सरसों के फूलों से अपने मिट्टी के महल को सजाना मुझे याद है आज भी वो बचपन का जमाना जिंदगी के पुराने पन्नों में छुपा है कहीं वो बचपन के यादों का खजाना चलती राहों में कहीं मन के कोने में मिल जाए तो चेहरे का खिलखिलाना मुझे याद है आज भी वो बचपन का जमाना °°°आलोक°°° ©Alok #Memories village life