मां बाप थे सबके, थीं सबकी जिम्मेदारी, सेवा में लगी तुम, जब आई बीमारी, इस महामारी से सभी, मजबूर हो गए, जब आई मुसीबत, हम दूर हो गए, एहसान तुम्हारा हम सब पे है भारी, तुमने किया है जो हम सब है आभारी, हक़ के दावेदार तो हम सब खड़े थे, किससे हैं ज्यादा प्यार हम मां से लड़े थे, पर प्यार का मतलब तुमने सिखा दिया, है फर्ज़ निभाना हमको बता दिया, कैसे तेरा एहसान अब मैं उतार दूं, जो कुछ है मेरे पास सब तुझ पे वार दूं, #मां #एहसान# मेरी बहन को समर्पित कविता