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जज्बात ए हरि जब कभी दिल ने, कोई रिश्ता बनाया है।

जज्बात ए हरि
जब कभी दिल ने, 
कोई  रिश्ता बनाया है। 
उन्हीं रिश्तों ने इस कदर, 
दिल पे सितम ढाया है। 
जज्बात की अब तो यहां, 
कोई कद्र है ना कीमत। 
ठोकरे मारी उसी ने, 
जिसे दिल से अपनाया है। 
कवि हरिश्चन्द्र राय"हरि"
मुम्बई (महाराष्ट्र)

©HARISHCHANDRA RAI परम् सनेही दोस्तों। जय जगन्नाथ।। 
।।रथ यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं।। 

#RathYatra2021
जज्बात ए हरि
जब कभी दिल ने, 
कोई  रिश्ता बनाया है। 
उन्हीं रिश्तों ने इस कदर, 
दिल पे सितम ढाया है। 
जज्बात की अब तो यहां, 
कोई कद्र है ना कीमत। 
ठोकरे मारी उसी ने, 
जिसे दिल से अपनाया है। 
कवि हरिश्चन्द्र राय"हरि"
मुम्बई (महाराष्ट्र)

©HARISHCHANDRA RAI परम् सनेही दोस्तों। जय जगन्नाथ।। 
।।रथ यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं।। 

#RathYatra2021

परम् सनेही दोस्तों। जय जगन्नाथ।। ।।रथ यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं।। #RathYatra2021