ये उन दिनों की बात है। वो बचपन जो सिर्फ ,एक टायर ओर लकड़ी से ही , चेहरे पर चमक ले आता था, दोस्तों के साथ बारिश मैं वो दोड़ लगाना, पानी में वो छपछप करना, बारिश के आते ही जैसे , तमाम खुशियाँ झोली मे मिल गई हो, दोस्तों के संग दोड़कर सबको बताना , बारिश आई, बारिश आई। कागज की नाव पानी मे, चलाने का मजा भी कितना हसीन था। आज सब साधन है चलाने के, पर वो सूकून नहीं जो टायर को चलाने का था । आज नाव में बैठ भी सकते है, पर वो ख़ुशी नहीं जो कागज की कश्ती पानी में उतारने में थी।। ये उन दिनो की बात है।। khushi yeh unnh dino ki baat h.. mere shabd