क़ैद हैं सभी एक चारदीवारी में ईंट,पत्थर,गारा से बनी टूटी-फूटी धारणाओं से जटी अनर्थक विचारों से लिपी मोह,स्वार्थ,मर्यादा से सजी घुटती हैं जिसमें साँसें बोल नहीं पाती जहाँ 'आवाज़' सुनता नहीं स्वर 'अपना-सा' हिलती हैं दीवारें थोड़ी हलचल से गूँजती हैं जिसमे 'मैं','मेरा'की चीखें बहरा जाते हैं कान,छूटते से हैं प्राण पर दरवाज़ा नहीं चारदीवारी में भाग निकल बचा सकें अन्दर का जीव रहना है या सहना है या जीवित ही मरना है 'निरीह चारदीवारी' में....!! Muनेश...Meरी✍️🌿 कभी कभी लगता है हम चारदीवारी में क़ैद हैं। #चारदीवारी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi