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बेरंग हवाओं ने कुछ इस कदर उधेड़ डाला जिस्म मेरा ,,

बेरंग हवाओं ने कुछ इस कदर उधेड़ डाला जिस्म मेरा ,,जख्मों की खिलवट और पीप बहती दरारों से ,,,रूह का निकलना ,बाकी रह गया है ।।
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पीते पीते हुई सुबह,, इक और स्याह रात को उसकी ओकात दिखा ही दी फिर से ,पर अब भी सीने में सुलगती इक मद्धम सी लॉ का पिघलना ,,बाकी रह गया है । ।
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रोंध कर फूलों को ,,सभी कलियां मसल कर बहुत तकलीफ़ दी खुद को ,,बस कुछ  और दर्द की तलब में ,, बाकी बचे खारों का कुचलना ,,बाकी रह गया है ।।
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यूं तो कहने को हर दम है साथ में मेरे ,,मैं ,,मेरा साया ,,कुछ विरानिया और घने अंधेरे ,,पर सुना है ,,है तलाश में मेरी शराब का सूरज और मयखाने के उजले सवेरे ,,में तैयार तो हो चुका हूं,,बस घर से निकलना,,बाकी रह गया है ।।
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सुलग उठता है कलेजा ,,कमाल है शराब की खुश्बू ,,मेरे लब्जो की तपिश है उरूज़ पर कब से ,,तुम इक बार फिर मुझे चूमने की कोशिश तो करो ,,राणा,,आज भी तुम्हारे महकते लबों का जलना ,,बाकी रह गया है ।।
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उस मोड़ पर ठहरे हुए अरसा हुआ मुझको ,,सुना जब तू नही हासिल तो ,,मैं खुआइशों के दायरे बड़ा ही लिए मैने ,,मुझे कुछ कदम पर दूर है मयखाना ,,बस चलना ,,बाकी रह गया है ।।
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शाम ,,शराब ,शायरी ,,मेरी पहचान इनसे है  ,यार मेरे ओए शराबी कहकर पुकारने लगे है मुझे ,,बस इसी इक खास तबके के साथ साथ ,,अब खुद को बदलना ,,बाकी रह गया है ।।
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©#शुन्य राणा khud ko badlna baki reh gya hai #sharab #Nojoto #shayri #Khyal Sircastic Saurabh Aj stories Sherni #काव्यार्पण Internet Jockey
बेरंग हवाओं ने कुछ इस कदर उधेड़ डाला जिस्म मेरा ,,जख्मों की खिलवट और पीप बहती दरारों से ,,,रूह का निकलना ,बाकी रह गया है ।।
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पीते पीते हुई सुबह,, इक और स्याह रात को उसकी ओकात दिखा ही दी फिर से ,पर अब भी सीने में सुलगती इक मद्धम सी लॉ का पिघलना ,,बाकी रह गया है । ।
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रोंध कर फूलों को ,,सभी कलियां मसल कर बहुत तकलीफ़ दी खुद को ,,बस कुछ  और दर्द की तलब में ,, बाकी बचे खारों का कुचलना ,,बाकी रह गया है ।।
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यूं तो कहने को हर दम है साथ में मेरे ,,मैं ,,मेरा साया ,,कुछ विरानिया और घने अंधेरे ,,पर सुना है ,,है तलाश में मेरी शराब का सूरज और मयखाने के उजले सवेरे ,,में तैयार तो हो चुका हूं,,बस घर से निकलना,,बाकी रह गया है ।।
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सुलग उठता है कलेजा ,,कमाल है शराब की खुश्बू ,,मेरे लब्जो की तपिश है उरूज़ पर कब से ,,तुम इक बार फिर मुझे चूमने की कोशिश तो करो ,,राणा,,आज भी तुम्हारे महकते लबों का जलना ,,बाकी रह गया है ।।
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उस मोड़ पर ठहरे हुए अरसा हुआ मुझको ,,सुना जब तू नही हासिल तो ,,मैं खुआइशों के दायरे बड़ा ही लिए मैने ,,मुझे कुछ कदम पर दूर है मयखाना ,,बस चलना ,,बाकी रह गया है ।।
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शाम ,,शराब ,शायरी ,,मेरी पहचान इनसे है  ,यार मेरे ओए शराबी कहकर पुकारने लगे है मुझे ,,बस इसी इक खास तबके के साथ साथ ,,अब खुद को बदलना ,,बाकी रह गया है ।।
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