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धर्म ही है प्रतिकार करना ताकत न हो चीत्कार करना

धर्म ही है प्रतिकार करना 
ताकत न हो चीत्कार करना 
धुंधकी बदली जब हो सघन 
मुश्किल ही तो दीदार करना 

मैं ही पाले अहमका गलफत 
वो चाहे होना ही दलगत 
नित्य नये ही स्वांग रचाएं 
करे धमक उससे हो अवगत

हो सचेतन क्यों तू भटके 
भटक भटक ही तो लटके 
चार दिनका ये जीवन है
उचित कहाँ है जो मटके 

कर प्रतिकार खुद से दीदार 
स्वाद से होता है तकरार 
स्वांग रचा ले चाहें जितना 
कभी मै न होता निराकार 🤔
धन्यवाद 🙏
                ____संजय निराला ✍️

#कुछबात
#कुछजज्बात

©संजय निराला #beinghuman
धर्म ही है प्रतिकार करना 
ताकत न हो चीत्कार करना 
धुंधकी बदली जब हो सघन 
मुश्किल ही तो दीदार करना 

मैं ही पाले अहमका गलफत 
वो चाहे होना ही दलगत 
नित्य नये ही स्वांग रचाएं 
करे धमक उससे हो अवगत

हो सचेतन क्यों तू भटके 
भटक भटक ही तो लटके 
चार दिनका ये जीवन है
उचित कहाँ है जो मटके 

कर प्रतिकार खुद से दीदार 
स्वाद से होता है तकरार 
स्वांग रचा ले चाहें जितना 
कभी मै न होता निराकार 🤔
धन्यवाद 🙏
                ____संजय निराला ✍️

#कुछबात
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©संजय निराला #beinghuman