शब से उठे हैं और सहर को जा रहे हैं हम ऐ ज़िंदगी क्या तुझसे सिला पा रहे हैं हम दुनिया की ऐश ओ इशरतों में कुछ कमी नहीं क्यूँ खाली हाथ फिर जहां से जा रहे हैं हम दावा था जिनका हम हैं दिलो जान से अज़ीज़ उनके ही हाथों रोज़ ज़ख्म खा रहे हैं हम कमाल था वो शख्स जो न मेरा हो सका हम उसके हैं कब से उसे जता रहे हैं हम शौक ए विसाल ए यार की थी कितनी आरज़ू शौक ए विसाल ए यार से घबरा रहे हैं हम रौशन जमाल ए यार से कभी थी अंजुमन अब दिल जला कर तीरगी मिटा रहे हैं हम उनसे हुआ था इश्क तो थे लब सिले हुअे समर जो टूटा दिल तो गज़ल गा रहे हैं हम