बहुत सकून था ज़िन्दगी मै जब तक तुम नहीं मिले थे। ऐसी आदत डाली तुमने। अब तो हर घड़ी फोन को देखते रहते है। इंतजार रहता है तुम्हारे मेसेज का। तुम्हारी dp देखते रहते हैं। जब आते हो online तुम। एक चैन सा आ जाता है। एक उम्मीद सी नजर आती हैं। जैसे तुम ही आ जाते हो। दूर होते हो मुझसे। फिर भी करीब लगते हो। तुम्हारे एक hye के लिए। इतनी उतावली हो जाती हूं। यू लगता है तुमसे मिल जाती हूं सब कुछ बेमानी सा लगता है। तुम्हारे बगैर सब सपना सा लगता है। नहीं लगता काम मे मन जब कभी। तुम्हारी save chat पढ़ती रहती हूं। खो जाती हूं बीते वक्त मे। ख़यालो मे सो जाती हूं। कभी दोस्त तो कभी इश्क़ लगते हो। तुम मुझे सबसे करीब लगते हो। कितने बीत गए तुमसे बात किए अब तो यादों से गुजार कर लेती हूं। कभी बुरा भी लगता तो खुद को समझा भी लेती हु। इंसान है गलती कर लेता है। तुम ही थे तुम ही हो तुम ही रहोगे। मेरी ज़िन्दगी में सिर्फ तुम ही रहोगे। #अनुराज #सकूं