अश्क़ दरिया कोई ठहरा सा जैसे, बाँध तोड़कर हो बह चला! कोई बादल श्याम सा मानो, एकाएक ही पिघल चला! वो है मोती, भावों की ज्योति, वो सकल संसार है! यूँ न तुम, ज़ाया करो इसे, अश्क़ तेरा मुझपर उधार है! कुछ अश्क़ की उधारी, बीती यादें हैं भारी! #smriti_mukht_iiha #nojotohindi #hindipoem