दिसम्बर में बीती हर एक वो रात एक रजाई में दुबके परिवार के साथ हाथों की हथेलियाँ रगड़ रगड़ते याद आती है बचपन की हर एक वो बात कहीं मूंगफलियों की कड़कड़ाहट तो कहीं तिल लड्डू की आहट कहीं अलाव में सिकते हाथों से जीवन को मिलती राहत कभी सांसों में धुंवा उठ रहा कहीं रस्ता धुंध से ढक रहा किंतू प्याली चाय की पीकर नहीं मानुस कहीं भी थम रहा सरसों के तेल की मालिश कर कहीं दादा धूप है सेक रहे वो दिसंबर की बीती हर एक रात हम याद आज भी कर रहे वो दिसंबर की बीती हर एक रात हम याद आज भी कर रहे #december #Day19 #WOD #CTL #nojotohindi #hindiwriter #hindipoetry #kavi #nojoto #poetry Ađîti Yää Đhūvânßhi