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अरसे बाद जो ख्वाब उसका सजाया है उसी में, अब ठहर ज

अरसे बाद जो ख्वाब उसका सजाया है 
उसी में, अब ठहर जाना चाहती हूँ |

जाना तो उसे भी है, पर इससे पहले 
शब्दों में उसे केद कर लेना चाहती हूँ |

कल का ख्याल कुछ और होगा ,पर 
आज को खास बना लेना चाहती हूँ |

उसकी की हुई हर एक बात को,पन्नों 
पर अब उतार लेना चाहती हूँ |

आंखे नम कल होंगी, पर यादें 
उसकी सिमेट लेना चाहती हूँ |

पढ़कर उसको खुश हो जाऊ बस,
 इतना ही उसको लिखना चाहती हूँ |

By:-Akshita Jangid 
(poetess) अरसे बाद जो ख्वाब उसका सजाया है 
उसी में, अब ठहर जाना चाहती हूँ |

जाना तो उसे भी है, पर इससे पहले 
शब्दों में उसे केद कर लेना चाहती हूँ |

कल का ख्याल कुछ और होगा ,पर 
आज को खास बना लेना चाहती हूँ |
अरसे बाद जो ख्वाब उसका सजाया है 
उसी में, अब ठहर जाना चाहती हूँ |

जाना तो उसे भी है, पर इससे पहले 
शब्दों में उसे केद कर लेना चाहती हूँ |

कल का ख्याल कुछ और होगा ,पर 
आज को खास बना लेना चाहती हूँ |

उसकी की हुई हर एक बात को,पन्नों 
पर अब उतार लेना चाहती हूँ |

आंखे नम कल होंगी, पर यादें 
उसकी सिमेट लेना चाहती हूँ |

पढ़कर उसको खुश हो जाऊ बस,
 इतना ही उसको लिखना चाहती हूँ |

By:-Akshita Jangid 
(poetess) अरसे बाद जो ख्वाब उसका सजाया है 
उसी में, अब ठहर जाना चाहती हूँ |

जाना तो उसे भी है, पर इससे पहले 
शब्दों में उसे केद कर लेना चाहती हूँ |

कल का ख्याल कुछ और होगा ,पर 
आज को खास बना लेना चाहती हूँ |

अरसे बाद जो ख्वाब उसका सजाया है उसी में, अब ठहर जाना चाहती हूँ | जाना तो उसे भी है, पर इससे पहले शब्दों में उसे केद कर लेना चाहती हूँ | कल का ख्याल कुछ और होगा ,पर आज को खास बना लेना चाहती हूँ |