अरसे बाद जो ख्वाब उसका सजाया है उसी में, अब ठहर जाना चाहती हूँ | जाना तो उसे भी है, पर इससे पहले शब्दों में उसे केद कर लेना चाहती हूँ | कल का ख्याल कुछ और होगा ,पर आज को खास बना लेना चाहती हूँ | उसकी की हुई हर एक बात को,पन्नों पर अब उतार लेना चाहती हूँ | आंखे नम कल होंगी, पर यादें उसकी सिमेट लेना चाहती हूँ | पढ़कर उसको खुश हो जाऊ बस, इतना ही उसको लिखना चाहती हूँ | By:-Akshita Jangid (poetess) अरसे बाद जो ख्वाब उसका सजाया है उसी में, अब ठहर जाना चाहती हूँ | जाना तो उसे भी है, पर इससे पहले शब्दों में उसे केद कर लेना चाहती हूँ | कल का ख्याल कुछ और होगा ,पर आज को खास बना लेना चाहती हूँ |