खुशी मेरी जमाने को जाने क्यूं रास ना आती, लगन इल्जाम सौ झूठे, कहर बरषे जो मुस्काती।। भयानक मंजरो को देखके भी दिल ना घबराये, देंखती ख्वाब ना आंखे, हकीकत से जो टकराये। अपने दर्दों को छुपाकर, दुआ दी है जमाने को, बेवजह रूठते रिश्ते, मिले हम ही सताने को। हंसी मेलों में भी सूरत, कोई ना मन को लुभाती। आईने में मेरी जघहा, शक्ल उनकी नज़र आती।। खुशी मेरी••• राहों में चल दिये तन्हा, मिले हैं काफिले हमको। टूटते फिर सँवर जाते, मिले यूँ सिलसिले हमको।। खुशी गम की लुकछुप में, गमों की जीत हो जाती। खुशी मेरी जमाने को जाने क्यूं रास ना आती।। हौसले फिर भी हैं कायम, हंसी होंठो पे ले आती। लगे इल्जाम सौ झूठे, कहर बरषे जो मुस्काती।। खुशी मेरी जमाने को•••• प्रीति तिवारी "नमन"✍🙏 ©Preeti Tiwari #TogetherWeWin