के कहीं क़ाइल हुए है हम अब तुझसे दूर है तो क्या फ़िर कम है ये सितम हमने तुम्हारी याद मे अजी़यत उठाई है ज़ख्मों को कुरेदा है यूँ गहरे हुए ज़ख़म आँखें खुली रही मेरी कासा-ए-दिल लिए तुझको ही सोच सोच कर जीते रहे सनम मिल जाये मुझको तू तो फ़िर जिंदा रहूँगा मैं इतनी है रब से ये दुआ ग़र हो जाये करम शुभरात्रि लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳