यूँ तो शौक़ कई थे मेरे भी ज़माने में, हुआ फिर यूँ, कि शौक़-दर-शौक़, मैं खुद को मारता चला गया। یوں تو شوق کئ تھے میرے بھی زمانے میں، ہوا پھر یوں کی شوق در شوق میں خود کو مارتا چلا گیا शौक़ की कीमत ज़माने में, कुछ यूँ अदा की मैनें, कि कभी हमने शौक़ को मारा, कभी उसने हमे। मर के भी जो ना मरा, वो, अंजान 'इकराश़' #YqBaba #YqDidi #IkraashNaama #Shauq #YqBhaijaan