है नहीं ये अरमां के शहंशाह बन जाऊं, बस यही है कि बेटा अच्छा बन जाऊं, जिस तरह सागर भरी है संगीतों के सुरों से, उतनी ही पाक उतनी ही सच्चा बन जाऊं। मेरी ख्वाहिश