ये ताल रूपी मेरे मन पर, किसी जलज सी खिली तुम, मैं उपमाओं में खोया रहा , पर सहज सी मिली तुम, मेरे मिर्च से बोलों पर किसी शहद सी घुली तुम, ताल रूपी मेरे मन पर, किसी जलज सी खिली तुम, सदानन्द कुमार अवसाद में डूबे हुए मन से कभी प्रेम गीत नहीं लिखा जाता, इस तस्वीर तक डूब मरने को ही आया था पर एक कविता लिख कर छोड़े जा रहा हूं, कवि मन को अब डूब मरने का भी साहस ना हुआ, तुमसे बिछुड़न के बाद शायद अब भी नियती तुम्हें ही मेरे जीवन की अधिकारिणी मानती है । विदा सदानन्द कुमार ©Sadanand Kumar #nojoto #AugustCreator #BoloDilSe #Qisse_Kahani #NojotoFilms #Broken #sadpoetry #Trending #kalakariyan #lotus RJ_Keshvi Sangya srinarayan tiwari VAniya writer *