महामहिम कैसी घड़ी आई है ये कैसा जमाना आया है ? महामहिम उच्चतम न्यायलय ने एक रुपये का जुर्माना लगाया है। जनता की अरबों मासिक उदर में ठूसती यह व्यवस्था, राष्ट्रीय संस्कृति का पहला पाठ भी न पढ़ पाया है। व्यवस्था का यह घिनौना मजाक देश को कहां लेकर जायेगा ? यही सोंच सोंच कर मेरा सर चक्कराया है। ऐसी मूढ़ व्यवस्था से हे प्रभू मेरे वतन को उबारें, इसीलिए मैने आपके सम्मुख अपना शीश ये झुकाया है। © मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे। महामहिम