उनके नशे में लड़खड़ाना अच्छा लगता है, बात बात पर उनका मुँह फुलाना अच्छा लगता है। कभी ना हाँ बोला न कभी ना बोला उसने, पर उनसे इश्क जताना अच्छा लगता है। किसी को इज्जाजत ही नही दी ख्वाबो में आने की, उनका तो वक़्त बेवक्त ख्वाबो में आना अच्छा लगता है। कभी गर सोचूं तेरे बगैर मेरी ज़िंदगी का हाल, ऐसे ख्वाब को आग लगाना अच्छा लगता है। तेरी खुश्बू की महक आती है हरदफ़ा मेरी सांसो से, तुझको अपने जेहन में लाना अच्छा लगता है। जरूरत ही नही हमे किसी और नशे की अब, हमे तेरी आँखों का मयखाना अच्छा लगता है। भीड़ ए महफ़िल की जरूरत कहा अब हमे, हमे अकेले में मुस्कुराना अच्छा लगता है। किसी फ़िरदौस की गजल जैसी हो तुम, हमे बस तुम्हे ही गुनगुना अच्छा लगता है। किसी और को लिखने का वक़्त ही कहा गज़लों में हमे तो बस तुम्हारा जिक्र लाना अच्छा लगता है। - आदि