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साँझ ढले आना चाँद तलक ले जाना, रौशन करना जीवन यूँ

 साँझ ढले आना चाँद तलक ले जाना,
रौशन करना जीवन यूँ सूरज सा तेज़ अपनाना..!

ज़िन्दगी का सफ़र ओ हमसफ़र,
अंतिम पड़ाव तक साथ ले जाना..!

ख़त्म हो जो साँसे मेरी,
तुम रूह मेरी बन जाना..!

चढ़ता चले बढ़ता रहे,
तेरी चाहत का पैमाना..!

न ग़म हो बिन तेरा न हम हों,
चाहे जले हमसे ये सारा ज़माना..!

कोई चोर खुशियों की डोर न लूटे हमसे,
तेरी मेरी चाहतों का मयख़ाना..!

धन दौलत से अधिक कमायें संस्कार,
नतमस्तक हो जाए परवाना..!

©SHIVA KANT
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