डायरी हुई कैलेन्डर ****************** ------ अनिल 'नेति ' मैने डायरी जो कितनी भी पुरानी हो जाये, पर जिसके शब्द कभी नही बदलते, सम्भाल दी बन्द आलमारी मे; और----- सामने कैलेन्डर टाँग लिया जिसकी तारिखे रोज है बदलती। मै "मै" ना रही डायरी ना रही, मै "तुम" हो गयी कैलेन्डर हो गयी। ------------------ 0 ------------------- #leaf