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आज भी मैं नहीं भुला पाता वो फेयरवेल का दिन। बैंगनी

आज भी मैं नहीं भुला पाता वो फेयरवेल का दिन। बैंगनी लहंगे में तुम्हें देखकर मैं देखता ही रह गया था। वो करीने से बनाया गया जूड़ा और नीचे चेहरे पर आकर झूलती हुई  एक लट जैसे मुझे सम्मोहित कर रही थी। मैं इतना सम्मोहित हो गया था कि मेरी नज़रें सिर्फ़ तुम्हारे ही पीछे थी। मुझे ज़रा भी याद नहीं कि क्या-क्या कार्यक्रम हुए वहाँ। मैं तो चाहता था कि कार्यक्रम चलता रहे और मैं सबकी नज़रें बचाकर तुम्हें देखता रहूँ। कार्यक्रम ख़त्म होने से पहले जैसे-तैसे छुपकर तुम्हारी तस्वीर खींची थी मैंने। एकदम से सामने जाकर तुम्हारे लहंगे से एक मोती तोड़कर शर्ट के पॉकेट में रख लिया था ताकि वो दिल के पास रहे। मैं उस रूप को आँखों में बसा लेना चाहता था। कार्यक्रम खत्म होते ही बहुत उदास हो गया था मैं। तुम्हें वहाँ से पैदल बस अड्डे जाता देख मुझे बहुत ख़राब लग रहा था। उस समय न‌ तो मेरे पास मोटरसाइकिल ही थी और न चलाना ही आता था। अगर ऐसा होता तो शायद तुमसे साथ चलने को पूछ भी लेता। पर ऐसा था नहीं तो अपनी साइकिल को तुम्हारे बस के पीछे  तब तक भगाता रहा, जब तक बस आँखों से ओझल नहीं हो गई। फ़िर जेब में हाथ डालकर तुम्हारे लहंगे के उस मोती को महसूस किया और चुपचाप घर लौट आया। फेयरवेल #vks #yqbaba #yqhindi #yqfarewell #yqmuzaffarpur #yqdidi
आज भी मैं नहीं भुला पाता वो फेयरवेल का दिन। बैंगनी लहंगे में तुम्हें देखकर मैं देखता ही रह गया था। वो करीने से बनाया गया जूड़ा और नीचे चेहरे पर आकर झूलती हुई  एक लट जैसे मुझे सम्मोहित कर रही थी। मैं इतना सम्मोहित हो गया था कि मेरी नज़रें सिर्फ़ तुम्हारे ही पीछे थी। मुझे ज़रा भी याद नहीं कि क्या-क्या कार्यक्रम हुए वहाँ। मैं तो चाहता था कि कार्यक्रम चलता रहे और मैं सबकी नज़रें बचाकर तुम्हें देखता रहूँ। कार्यक्रम ख़त्म होने से पहले जैसे-तैसे छुपकर तुम्हारी तस्वीर खींची थी मैंने। एकदम से सामने जाकर तुम्हारे लहंगे से एक मोती तोड़कर शर्ट के पॉकेट में रख लिया था ताकि वो दिल के पास रहे। मैं उस रूप को आँखों में बसा लेना चाहता था। कार्यक्रम खत्म होते ही बहुत उदास हो गया था मैं। तुम्हें वहाँ से पैदल बस अड्डे जाता देख मुझे बहुत ख़राब लग रहा था। उस समय न‌ तो मेरे पास मोटरसाइकिल ही थी और न चलाना ही आता था। अगर ऐसा होता तो शायद तुमसे साथ चलने को पूछ भी लेता। पर ऐसा था नहीं तो अपनी साइकिल को तुम्हारे बस के पीछे  तब तक भगाता रहा, जब तक बस आँखों से ओझल नहीं हो गई। फ़िर जेब में हाथ डालकर तुम्हारे लहंगे के उस मोती को महसूस किया और चुपचाप घर लौट आया। फेयरवेल #vks #yqbaba #yqhindi #yqfarewell #yqmuzaffarpur #yqdidi