आज सुबह उठने से पहले शायद मैं कहीं तैर रहा था...हां ऐसा ही लगा की मैं तैर रहा था पर दरअसल मैं बह रहा था... इतना सुनकर अनुमान ना लगा लेना कि हम पुरुष सिर्फ स्त्रियों की आँखों में ही बह सकते हैं, वो भी सही है पर सदा ऐसा नहीं है... ...........................Rest in Caption........................ आज सुबह उठने से पहले शायद मैं कहीं तैर रहा था...हां ऐसा ही लगा की मैं तैर रहा था पर दरअसल मैं बह रहा था... इतना सुनकर अनुमान ना लगा लेना कि हम पुरुष सिर्फ स्त्रियों की आँखों में ही बह सकते हैं, वो भी सही है पर सदा ऐसा नहीं है... यद्यपि ये भी स्त्रीलिंग ही है तो ये मत कहियेगा कि men will be men, ये भी सही है पर सदा ऐसा नहीं है... दरअसल आज मैं सतलुज नदी के साथ बह गया...अब सतलुज ही क्यों, गंगा क्यों नहीं यमुना क्यों नहीं...यमुना के किनारे तो कृष्ण भी खेले थे फिर वहां क्यों नहीं...पर मैं भी अजीब प