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कदमों की आहट सुनते ही, मैं पीछे मुड़ा, और यह सिर्फ

कदमों की आहट सुनते ही,
मैं पीछे मुड़ा,
और यह सिर्फ आहट थी मेरे ख्यालों की,
जानी पहचानी सुगबुगाहट में
मैं पीछे मुड़ा
और यह सिर्फ थी बैचनी मेरे सवालों की,
कदमों की आहट सुनते ही,
मैं पीछे मुड़ा,
और यह सिर्फ आहट थी मेरे ख्यालों की।

©Prashant Roy
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