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तुम्हें चाहने की ख़ता न होगी अब दोबारा, मैं जीता ज

 तुम्हें चाहने की ख़ता न होगी अब दोबारा,
मैं जीता जग से पर ख़ुद से हूँ हारा..!

देखे कई सुन्दर ज़माने में चेहरे,
दिल ये सनम बस होना चाहे तुम्हारा..!

हम तो रहे न अब ख़ुद के भी यूँ तो,
खो कर इश्क़ में सब कुछ गया हमारा..!

बिगड़ते हालातों में कहाँ कब किसने,
कभी भी किसी को यूँ ही सँवारा..!

तुम रहना सदा ख़ुश ये आरज़ू है दिल की,
नहीं चाहता कुछ भी ये तुमसे बेचारा..!

मैं लुट कर भी ख़ुद को बताऊँगा ख़ुशक़िस्मत,
यही एक आख़िरी बचा है बस चारा..!

तुम रहना बुलंदियों पर न ढहना कभी भी,
ख़ुद का ही बनना ख़ुद ही सहारा..!

दुःख में देख कर तुम्हें तड़पेंगे हम भी,
पर तुम्हें दुःख में देखना नहीं हमें गंवारा..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #Shadow #tumhen_chahne_ki_khata