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कहां से शुरुआत करूं कहां ख़त्म कुछ समझ नहीं आता।

कहां से शुरुआत करूं कहां ख़त्म कुछ समझ नहीं आता।

बहुत भयावह ये कलयुगी दृश्य, में अपनी आंखों द्वारा देख नहीं पाता।

रोते, कलपते, भूख से छटपटाते हुए इन मासूम गरीबों की दर्ड ए पुकार सुन।

क्या इन वेहशी दुष्ट प्रवृत्ति लोगों के दिल में दर्द का एक आंसू भी आंखों से छलक नहीं पाता।

ना ही थोड़ी सी दया है, ना ही किसी अपनों द्वारा मिल पाया इन्हें कभी संस्कार मन में।

शायद जो सपना इन्हें दिखाया गया, हम जैसे एक एक काफिरों को इस धरती से मिटा सकें।

एक सपथ इन दुष्ट प्रवृत्ति के दानवों ने ली है, आज एक सपथ हम भी लेते हैं।

मां भवानी की सपथ खा ये वचन देते है, अपने हिंदुस्तान कि रक्षा अपने प्राणों की आहुति देकर भी रक्षा करनी पड़ी, करेंगे ये वचन हम आप सभी को देते हैं। #वचन
कहां से शुरुआत करूं कहां ख़त्म कुछ समझ नहीं आता।

बहुत भयावह ये कलयुगी दृश्य, में अपनी आंखों द्वारा देख नहीं पाता।

रोते, कलपते, भूख से छटपटाते हुए इन मासूम गरीबों की दर्ड ए पुकार सुन।

क्या इन वेहशी दुष्ट प्रवृत्ति लोगों के दिल में दर्द का एक आंसू भी आंखों से छलक नहीं पाता।

ना ही थोड़ी सी दया है, ना ही किसी अपनों द्वारा मिल पाया इन्हें कभी संस्कार मन में।

शायद जो सपना इन्हें दिखाया गया, हम जैसे एक एक काफिरों को इस धरती से मिटा सकें।

एक सपथ इन दुष्ट प्रवृत्ति के दानवों ने ली है, आज एक सपथ हम भी लेते हैं।

मां भवानी की सपथ खा ये वचन देते है, अपने हिंदुस्तान कि रक्षा अपने प्राणों की आहुति देकर भी रक्षा करनी पड़ी, करेंगे ये वचन हम आप सभी को देते हैं। #वचन