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राह दिखाता है तू सबको तेरे लिये तो ज्यादा मुश्किले

राह दिखाता है तू सबको तेरे लिये तो ज्यादा मुश्किलें खडी़ करूंगा
औरों की राह में कांटे ही बिछाता हूं 
तेरी राहों पर तो खौलते तेल की बारिश करूंगा
अंगारे तो बहुतों ने सहे हैं
तुझे  तो  मैं अंगारों के दरियों से गुजारुंगा
तूफान में किश्ती नहीं छीनता किसी से
तुझसे तो किश्ती भी तूफानों में छीन लूंगा
रहम नहीं है मुझको तेरे इन आंसुओं पर 
आंसुओं संग खून भी बेरहमी से निकालूंगा
रुकने का नाम नहीं लेगा ऐसे तू
तुझको तो आदमखोर जानवरों की रेस में छोडू़ंगा
जब दूनिया तुझे हारा हुआ मान लेगी
तुझे मैं घने बादलों से सीधे मैदान ए फतेह पर उतारूंगा


शायर आयुष कुमार गौतम की कलम से राह दिखाता है तू सबको
राह दिखाता है तू सबको तेरे लिये तो ज्यादा मुश्किलें खडी़ करूंगा
औरों की राह में कांटे ही बिछाता हूं 
तेरी राहों पर तो खौलते तेल की बारिश करूंगा
अंगारे तो बहुतों ने सहे हैं
तुझे  तो  मैं अंगारों के दरियों से गुजारुंगा
तूफान में किश्ती नहीं छीनता किसी से
तुझसे तो किश्ती भी तूफानों में छीन लूंगा
रहम नहीं है मुझको तेरे इन आंसुओं पर 
आंसुओं संग खून भी बेरहमी से निकालूंगा
रुकने का नाम नहीं लेगा ऐसे तू
तुझको तो आदमखोर जानवरों की रेस में छोडू़ंगा
जब दूनिया तुझे हारा हुआ मान लेगी
तुझे मैं घने बादलों से सीधे मैदान ए फतेह पर उतारूंगा


शायर आयुष कुमार गौतम की कलम से राह दिखाता है तू सबको