Nojoto: Largest Storytelling Platform

¤¤¤ आम आदमी ¤¤¤ चलो एक कविता लिखते हैं, उन पर

 ¤¤¤ आम आदमी ¤¤¤

चलो एक कविता लिखते हैं,  उन पर  जो बस  परछाईं हैं,
जो चिराग-तल का अँधियारा,जिनके पग-पग पर खाईं है,
चलो  आज पीड़ा गाते  हैं  उनकी  जो  हर दिन  जलते हैं,
सर्वांगी विकास पथ गढ़ते  किन्तु स्वयं  पग-पग छलते हैं।
जिनके  होठों  पर   मुस्कानें   दिल  में  गहरी  तन्हाई   है,
चलो एक कविता लिखते हैं, उन पर  जो बस परछाईं  हैं।

जिनकी  गिनती  ना  हीं  गरीबों में  ना ही  दौलतमंदों  में,
जो  गौरी भी नहीं  और  ना  ही  शामिल  हैं  जयचंदों  में।
जिन  पर  लागू   संविधान,  कानून,  मनुजता, मर्यादा  है,
जिनको अपने स्वाभिमान की फिक्र जान से भी ज्यादा है,
जिनकी  जेब  सम्हाले  फिरती  मेहनत  की  पाई पाई  है,
चलो एक कविता लिखते  हैं, उन पर  जो बस परछाईं हैं।

जिसने खड़े किए सीमा पर  प्रहरी  अपना पेट काटकर,
भ्रष्ट राजशाही जीवित  जिनके संचय को चाट-चाट कर।
जिनको आंख दिखाती वर्दी जिन पर सब आरोप रखे हैं,
जिनके मेहनतकश कंधों ने  उज्जवल सपने  रोप रखे हैं।
जो  कर्तव्यों  पर आहुत हैं  पर अधिकारों  से  वंचित  हैं,
मानवता हित जीवन अर्पित राष्ट्र हित जो कुछ संचित है। 
जिनके  नाम  सड़क, चौराहे, बस्ती  ना  ही  अंगनाई  हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं, उन पर  जो बस परछाईं हैं।।

नहीं सजाते जो सड़कों पर  कभी हृदय की पीड़ाओं को,
हाथ  नहीं  फैलाते  जो  मरहम को, जीते  हैं  घावों  को।
नहीं  जलाईं  कभी  दुकानें, बसें   जिन्होंने  चौराहों  पर,
जिनको आया नहीं  खुशी के महल बना लेना आहों पर।
जीवन रण में  थके नहीं जो  ना ही  आंखें  अलसाई   हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं,  उन पर जो बस परछाईं हैं।।

©कवि आलोक मिश्र "दीपक"
  #bharat #nozotohindi #common #motivatation