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बरस जा बदल वक्त अभी बाकी हैं जमीन जल चुकी है ,आसमा

बरस जा बदल वक्त अभी बाकी हैं
जमीन जल चुकी है ,आसमान बाकी हैं
सुख गए कुएं ,इम्तिहान बाकी हैं
बरस जा बदल वक्त अभी बाकी हैं
किसी का मकान गिरवी , छुड़ाना बाकी हैं
और किसी का लगान बाकी हैं 
किसी का तो अभी पेट भरना बाकी हैं
तो किसी का आंसू पोछना अभी बाकी हैं 
बरस जा बदल वक्त अभी बाकी हैं

©Dr.Dinesh sonkar
  #बरस जा बदल वक्त अभी बाकी हैं

#बरस जा बदल वक्त अभी बाकी हैं #कविता

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