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प्रथम स्पर्श की भांति कोमल वृष्टि पर्व के जैसे संद

प्रथम स्पर्श की भांति कोमल
वृष्टि पर्व के जैसे संदल
वर्ण सुचार्चित चंदन-चंदन
अधर करें नित-नित अभिनंदन
जैसे मौसम का छू जाना
साथी खेल करे मनमाना
चाह जगाए आंखों में फिर
हाथ थाम ले जाए सत्वर
जाने पहचाने नुक्कड़ पर
जहां झूमते आते अविरल
निश्छल स्मृतियों के रंगिम दल
दृष्टि कौतुक विस्मित चंचल
हृद सरिता में मीठी हलचल
एक प्याली है किस्साघर
रोज़ सुनाएंगे इक-इक कर

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प्रथम स्पर्श की भांति कोमल
वृष्टि पर्व के जैसे संदल
वर्ण सुचार्चित चंदन-चंदन
अधर करें नित-नित अभिनंदन
जैसे मौसम का छू जाना
साथी खेल करे मनमाना
चाह जगाए आंखों में फिर
हाथ थाम ले जाए सत्वर
जाने पहचाने नुक्कड़ पर
जहां झूमते आते अविरल
निश्छल स्मृतियों के रंगिम दल
दृष्टि कौतुक विस्मित चंचल
हृद सरिता में मीठी हलचल
एक प्याली है किस्साघर
रोज़ सुनाएंगे इक-इक कर

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