शिकस्ता दिल लिये क्यूँ घूम रहे हो, अब उन यादों को आग लगा दो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो| पोशीदा जीतने भी ज़ख्म हैं तुम्हारे, अब उनकी कहानी ज़माने को सुना दो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो| अफ़सुर्दा हो कब तक यूँ ही बैठे रहोगे, अब रुके हुए अश्कों को बेहिचक बहा दो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो| इब्तिदा करो फिर से अपनी मंज़िल की ओर, अब राहों पर अपने हुनर का परचम लहरा दो, थोड़ा सा मुस्कुरा दो| परिंदा बन उड़ चलो इक नये आसमां की तलाश में, अब ख़्वाबीदा नज़रों के हर ख़्वाब को मुक़म्मल कर दिखा दो, हाँ तुमसे कह रहा हूँ, थोड़ा सा मुस्कुरा दो| शिकस्ता--broken, टूटा हुआ. पोशीदा-- hidden. अफ़सुर्दा-- depressed. इब्तिदा-- begin. ख़्वाबीदा--dreamy. मुक़म्मल-- complete, finish. सुप्रभात।