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# तुम्हारी दृष्टि में मैं विद्रोह | Hindi कविता

तुम्हारी दृष्टि में मैं विद्रोही हूँ, क्योंकि मेरे सवाल तुम्हारी मान्यताओं का उल्लंघन करते हैं।
- कुँवर नारायणऔर पढ़ें

तुम्हारी दृष्टि में मैं विद्रोही हूँ, क्योंकि मेरे सवाल तुम्हारी मान्यताओं का उल्लंघन करते हैं। - कुँवर नारायणऔर पढ़ें #कविता

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