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वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया हैं, इन्सानों को अब

वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया हैं,
इन्सानों को अब तूने सच में इन्सान बनाया है,
आजाद हुए आज परीन्दे ,
कैद में इन्सान आया है,
वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया हैं।
शौख पूरे किये इन्सानों ने ,
मार मार के जानवरो को खाया है,
आज जानवरो ने इन्हे मौत का रुख दिखाया है,
आज इन्सान खुद ही खुद के पिन्जरे में आया है,
वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया हैं ।
बहुत रूलाया इन्सानों ने बेजुवानों को,
अब इनके रोने का दिन आया है,
कोरोना का रूप लेकर ,
इन्हीं का करमा इनके सामने आया है,
वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया है।। कोरोना के रूप में करमा
वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया हैं,
इन्सानों को अब तूने सच में इन्सान बनाया है,
आजाद हुए आज परीन्दे ,
कैद में इन्सान आया है,
वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया हैं।
शौख पूरे किये इन्सानों ने ,
मार मार के जानवरो को खाया है,
आज जानवरो ने इन्हे मौत का रुख दिखाया है,
आज इन्सान खुद ही खुद के पिन्जरे में आया है,
वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया हैं ।
बहुत रूलाया इन्सानों ने बेजुवानों को,
अब इनके रोने का दिन आया है,
कोरोना का रूप लेकर ,
इन्हीं का करमा इनके सामने आया है,
वाह रे कुदरत क्या नजारा दिखाया है।। कोरोना के रूप में करमा