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कोरा काग़ज़ तीसरा चरण:- रिमझिम कहानी शीर्षक :- स

कोरा काग़ज़

तीसरा चरण:- रिमझिम कहानी

शीर्षक :- साज़िश-ए-रात की बरसात

कौन थी माया?
उस बरसात की रात उसे कौन चिप दे गया था?
क्या था उसमें जो माया की ज़िन्दगी में तूफान ले आया?

कहानी कृप्या अनुशीर्षक में पढ़िए। तूफ़ानी बारिश ने टेक्सास,अमेरिका पूरी तरह अपनी चपेट में ले रखा था।तेज़ हवाओं के साथ बहुत ज़ोर से बिजली भी कड़क रही थी।माया अपनी लाईब्रेरी में बैठी किताब पढ़ रही थी। हवा के तेज़ झोंके से खिड़की खुल गई और तेज़ बौछारें अंदर आने लगी।माया उठकर खिड़की बंद करने लगी तो उसे काला साया दिखा।तेज़ बारिश में कुछ नज़र आना मुश्किल हो रहा था।

अचानक मुख्य द्वार से ज़ोर ज़ोर से दरवाज़ा की खटखटाने की आवाज़ें आने लगी।उसे लगा केदार आया होगा।केदार और उसकी शादी को दो साल हो गए थे। वह ज़्यादातर काम की वजह से टूर पर ही रहता था और घर लेट आता था।उसे लगा केदार ही टूर से वापिस आया होगा।
उसने दरवाज़ा खोला तो सामने खून और कीचड़ में लिपटे हुए अदमी को देखकर चीख पड़ी।उस आदमी ने पीछे से उसका मुंह दबाकर चीख रोक दी। माया ने एक ज़ोर से कोहनी उसके पेट पर मारी और उस अनजान की पकड़ छूट गई।

"कौन हो तुम,यहां क्या कर रहे हो?" माया ने गुस्से से पूछा।
"मैं अभिमन्यु,पहचाना नहीं?"
कोरा काग़ज़

तीसरा चरण:- रिमझिम कहानी

शीर्षक :- साज़िश-ए-रात की बरसात

कौन थी माया?
उस बरसात की रात उसे कौन चिप दे गया था?
क्या था उसमें जो माया की ज़िन्दगी में तूफान ले आया?

कहानी कृप्या अनुशीर्षक में पढ़िए। तूफ़ानी बारिश ने टेक्सास,अमेरिका पूरी तरह अपनी चपेट में ले रखा था।तेज़ हवाओं के साथ बहुत ज़ोर से बिजली भी कड़क रही थी।माया अपनी लाईब्रेरी में बैठी किताब पढ़ रही थी। हवा के तेज़ झोंके से खिड़की खुल गई और तेज़ बौछारें अंदर आने लगी।माया उठकर खिड़की बंद करने लगी तो उसे काला साया दिखा।तेज़ बारिश में कुछ नज़र आना मुश्किल हो रहा था।

अचानक मुख्य द्वार से ज़ोर ज़ोर से दरवाज़ा की खटखटाने की आवाज़ें आने लगी।उसे लगा केदार आया होगा।केदार और उसकी शादी को दो साल हो गए थे। वह ज़्यादातर काम की वजह से टूर पर ही रहता था और घर लेट आता था।उसे लगा केदार ही टूर से वापिस आया होगा।
उसने दरवाज़ा खोला तो सामने खून और कीचड़ में लिपटे हुए अदमी को देखकर चीख पड़ी।उस आदमी ने पीछे से उसका मुंह दबाकर चीख रोक दी। माया ने एक ज़ोर से कोहनी उसके पेट पर मारी और उस अनजान की पकड़ छूट गई।

"कौन हो तुम,यहां क्या कर रहे हो?" माया ने गुस्से से पूछा।
"मैं अभिमन्यु,पहचाना नहीं?"