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लगते हैं अपने बैगाने यहाँ, लगता है, ये अपना शहर नह

लगते हैं अपने बैगाने यहाँ,
लगता है, ये अपना शहर नहीं ।

जिसे मिल सके कभी, ठंडी छाँव
खूशनसीब मेरा सर नहीं ।

सफर में है, मुशाफिर,
मगर इसका कोई हमसफर नहीं ।

मोहब्बत की खुशबूओं से,
कोई  बेखबर नहीं ।

वो इश्क, भला इश्क हो नहीं सकता,
जिसमें किसी को खोने का डर नहीं । #मुशाफिर#नोजोटो
लगते हैं अपने बैगाने यहाँ,
लगता है, ये अपना शहर नहीं ।

जिसे मिल सके कभी, ठंडी छाँव
खूशनसीब मेरा सर नहीं ।

सफर में है, मुशाफिर,
मगर इसका कोई हमसफर नहीं ।

मोहब्बत की खुशबूओं से,
कोई  बेखबर नहीं ।

वो इश्क, भला इश्क हो नहीं सकता,
जिसमें किसी को खोने का डर नहीं । #मुशाफिर#नोजोटो