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लिखा है क्या लकीरों में मुझे पढ़ना नहीं आता तेरी ब

लिखा है क्या लकीरों में मुझे पढ़ना नहीं आता तेरी बेदर्द दुनिया से मुझे लड़ना नहीं आता
बस इतना हौसला दे दे कभी ना आंख से छलके
भटकना दर मुकद्दर है कभी ना आंख‌ ये भटके
रब्बा वे । रब्बा वे । रब्बा वे । रब्बा वे। रब्बा वे
लिखा है क्या लकीरों में मुझे पढ़ना नहीं आता तेरी बेदर्द दुनिया से मुझे लड़ना नहीं आता
बस इतना हौसला दे दे कभी ना आंख से छलके
भटकना दर मुकद्दर है कभी ना आंख‌ ये भटके
रब्बा वे । रब्बा वे । रब्बा वे । रब्बा वे। रब्बा वे

रब्बा वे