"कचरा और बचपन " (अनुशीर्षक में)- ******************** चवन्नी ढूढ़ता बेमन, वो देखो तंग गलियों में। नियत मजबूर करती है, हवस की भंग कलियों में। सताती भूख है जब भी, जतन अधिकार लाता है। बिना पहचान के बच्चा,